बेरोजगारी किसे कहते हैं? बेरोजगारी के प्रकार, कारण एवं उपाय जाने | Unemployment in Hindi PDF Download

Unemployment in Hindi: बेरोजगारी या बेकारी वर्तमान समय में सभी देशों में एक जटिल समस्या एवं चुनौती के रूप में विद्यमान हैं। बढ़ती जनसंख्या एवं घटते रोजगार ने बेरोजगारी को जन्म दिया है जो किसी भी देश का चिंता की विषय है। बेरोजगारी का निराकरण सभी देशों के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।

भारत जैसे विकासशील एवं विशाल जनसंख्या वाले देश में बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है। अल्‍प विकसित देशों में कार्यशील जनसंख्या की अधिकता होती है परन्तु रोजगार के अवसरो की कमी के कारण बहुत बड़ी संख्या में बेरोजगारी पायी जाती है। 

Unemployment in Hindi
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बेरोजगारी क्या है? बेरोजगारी की परिभाषा

सामान्य तौर पर, यदि किसी व्यक्ति को उसकी क्षमता के अनुरूप काम नहीं मिलता है तो उसे बेरोजगारी कहा जाता है, जैसे कि किसी व्यक्ति में पांच घंटे काम करने की क्षमता है और उसे केवल तीन या दो घंटे ही काम मिलता है, या एक व्यक्ति को योग्यता से कम का कार्य करना पड़ता है, तो इसे भी बेरोजगारी में शामिल किया गया है। 

NSSO ( राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन) के अनुसार वर्ष के व्यस्त 183 दिनों से किसी व्यक्ति को कम दिन तक काम करने को मिलता है तो उसे बेरोजगारी मानते है।

बेरोजगारी को देश के स्वास्थय अर्थव्यवस्था के मापक के रूप में प्रायः प्रोयोग किया जाता है। बेरोजगारी सामान्यतः बेरोजगारी दर के रुप में मापा जाता है। बेरोजगारी दर मापने के लिए कुल श्रम शक्ति में बेरोजगार श्रमिकों की संख्या से भाग दे कर निकलते हैं।

बेरोजगारी दर = ( बेरोजगार श्रमिक/कुल रोजगार) × 100

भारत में बेरोजगारी दर 

भारत में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा बेरोजगारी दर का मापन किया जाता है। सेंटर फॉर मोनेट्रिंग इंडिया इकोनॉमी (CMIE) जो एक स्वायत एवं अग्रणी बिजनेस इंफॉर्मेशन कंपनी है भी बेरोजगारी के आंकड़ों की मापन कार्य करती है। 

दिसंबर माह में जारी आंकड़ों के अनुसर भारत में पिछले 16 महीनों में सबसे उच्च बेरोजगारी दर आंकी गई है। रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर 2022 में बेरोजगारी दर 8.30 फीसदी है जिसमें 10.09 फीसदी शहरी बेरोजगारी दर है जबकि 7.55 फीसदी ग्रामीण बेरोजगारी दर आंकी गई है।

CMIE के रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक बेरोजगारी वाले तीन राज्य क्रमशः हरियाणा (37.3%), जम्मू कश्मीर (32.8%), तथा राजस्थान (31.4%) हैं जबकि न्यूनतम बेरोजगारी दर क्रमशः हिमाचल प्रदेश (0.2%), छत्तीसगढ़ (0.6%), तथा असम (1.2%) में आंकी गई है।

बेरोजगारी के प्रकार (Types of Unemployment in Hindi) 

आर्थिक पिछड़ेपन, अधिक जनसंख्या, तकनीकि अभाव, अकुशल श्रमिक, संसाधनों के असमान वितरण एवं क्षेत्रीय भिन्नता के आधार पर बेरोजगारी के कई प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं – 

1. संरचनात्म बेरोज़गारी – 

अर्थव्‍यवस्था के पिछड़ेपन के कारण जब रोजगार के अवसर कम हो, तो उसे संरचनात्मक बेरोज़गारी कहते हैं. भारत में इस तरह की बेरोजगारी सर्वाधिक है।

2. प्रच्छन्न बेरोज़गारी – 

इसे छिपी हुई बेरोजगारी भी कहते हैं। इस प्रकार की बेरोजगारी कृषि प्रधान देश में अधिक पाई जाती है, रोजगार कम होने के कारण एक ही कार्य में आवश्यकता से अधिक लोग लगे होते हैं अर्थात दो लोगों की कार्य से जितना उत्पादन होता है तीन या चार लोग मिलकर उतना ही उत्पादन करते हैं। इस प्रकार की बेरोजगारी ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वाधिक प्रचलित है।

3.अल्‍प रोजगार – 

यह एक ऐसा स्थिति है, जिसमें श्रमिक को अवश्यकता एवं क्षमता से कम काम मिलता है। इस प्रकार की बेरोजगारी अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में या कम उत्पादन वाले क्षेत्रों में सर्वाधिक दिखने को मिलती है।

4. खुली बेरोज़गारी

काम करने की इच्छा एवं क्षमता होने के बाउजूद श्रमिक को जब कोई काम नहीं मिलता है तो इसे खुली बेरोज़गारी कहते हैं। 

5.मौसमी बेरोज़गारी

कृषि प्रधान क्षेत्रों में इस तरह की बेरोजगारी पाई जाती है, वर्ष के कुछ विशेष महीने या मौसम में रोजगार के अवसर समाप्त हो जाना मौसमी बेरोज़गारी कहलाता है. कृषि क्षेत्र में बुआई या कटाई के बाद रोजगार के अवसर समाप्त हो जाते हैं. इस कारण लोग शहरों की ओर पलायन भी करते हैं जिससे नगरीय population में वृद्धि होने लगती है

6. चक्रीय बेरोजगारी – 

आर्थिक मंदी” के दौरान मजदूरों की छटाइ होना चक्रीय बेरोज़गारी कहलाता है, पुनः अर्थव्यवस्था में तेजी होने पर उन्हें काम मिलता है. विकसित देशों में इस प्रकार की बेरोजगारी सर्वाधिक पायी जाती है।

7. तकनीकि बेरोजगारी –

जब उधोग में पुरानी तकनीक को हटा कर नयी तकनीक का इस्तेमाल किया जाने लगता है तो पुराने workers जो नयी तकनीक के अनुरूप नहीं होते उन्हें हटा दिया जाता है और वो बेरोजगार हो जाते हैं, इसे ही technical तकनीकि बेरोजगारी कहते हैं.

8. शिक्षित बेरोजगारी –

योग्यता के आधार पर काम नहीं मिलना अर्थात योग्यता से कम का काम करना शिक्षित बेरोजगारी कहलाता है जैसे उच्च योग्यता पाने के बाद भी निचले स्तर का काम मिलना. उच्च जनसंख्या वाले देशों में इस प्रकार की बेरोजगारी अधिक पायी जाती है। 

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बेरोजगारी के कारण (Cause of Unemployment in Hindi)

सामान्य तौर पर किसी भी क्षेत्र में रोजगार सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा देश का भौगोलिक करको से प्रभावित होता है। भारत जैसे विकासशील देश में उपर्युक्त सभी ही बेरोजगारी के कारक के रूप में मौजूद है।

बेरोजगारी के सामाजिक कारक

बेरोजगारी के कारक मे सामाजिक कारक का महत्वपूर्ण भूमिका है सामाजिक कारक के अंतर्गत संस्कृति तथा धर्म को भी शामिल किया जाता है। कई संस्कृति एवं धर्म में कई प्रकार के रोजगार करने की मनाही है जैसे जैन समुदाय मे कृषि कार्यों को करना मना है, कई संस्कृति है जहाँ कुछ प्रकार के रोजगार करना मना है (जनजातीय संस्कृति)। इस प्रकार वैसा क्षेत्र जहाँ इनके अनुरूप रोजगार नही है तो उस क्षेत्र मे बेरोजगारी बढ़ जाती है।सामाजिक लोक-लाज भी बेरोजगारी का मुख्य कारण है। 

इसके अलावा एक और कारण है जो कुछ खास क्षेत्रों में है और वह है सरकारी नौकरी कुछ क्षेत्र जैसे उतर भारतीय क्षेत्र में सरकारी नौकरी की प्रचलन अधिक है। इन क्षेत्रों मे लोग सरकारी नौकरी के लिए लगातार प्रयास करते हैं जिनकी तैयारी अच्छी तरह से है वो कर भी लेते हैं, लेकिन सरकारी नौकरी में सीट सीमित है जो इतने लोगों को रोजगार देने मे सक्षम नहीं है और अंत में सामाजिक रूढ़ीबादिता से ग्रसित हो कर बेरोजगार बन जाते हैं। 

बेरोजगारी के आर्थिक कारक

रोजगार सृजन करने के लिए किसी देश या क्षेत्र को आर्थिक रूप से मजबूत होना अवश्यक है, जब पूंजी होती है तो निवेश होता है जिससे उधोग, व्यापार संचालित होता है और रोजगार सृजित करने मे भी सक्षम हो सकता है, लेकिन कई बड़े देश जिनकी जनसंख्या बड़ी है और अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है उन देशों में बेरोजगारी की दर तिब्र है. आर्थिक मंदी के दौरान जब कंपनियों को लाभ मे कमी होने लगता है तो employee को कम करने की प्रक्रिया के कारण बेरोजगारी बढती है. 

बेरोजगारी के राजनैतिक कारक

बेरोजगारी और राजनीतिक (सरकार) का संबंध वर्तमान समय में कुछ अधिक ही गहरे होते जा रहे हैं, सरकार का रोजगार उत्पन करने में सक्षम नहीं होना, योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वित नहीं होना, सिस्टम में लीकेज, भ्रष्टाचार, कठोर कानूनी प्रक्रिया, आदि राजनीतिक कारक है जो बेरोजगारी की दर को बढ़ा दिया है। 

बेरोजगारी के भौगोलिक कारक

किसी क्षेत्र की भौतिक स्वरुप या विशेषता भी रोजगार को प्रभावित करने वाले कराको मे से एक है। भौतिक संरचना अर्थात उस क्षेत्र की प्राकृतिक बनावट के अधार पर उस क्षेत्र में रोजगार सृजन होता है अगर कोई क्षेत्र पर्वतीय है तो वहां उधोग लगाना मुश्किल है जिससे वहां रोजगार की कमी होती है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में जहां खनिज संसाधन अधिक है वहां रोजगार की संभावना बढ़ जाती है, लेकिन इसके लिए तकनीकी रूप से मजबूत होना अवश्यक है नही तो संसाधन होते हुए भी हम रोजगार नही बढ़ा सकते हैं. इससे एक बात और निकल के सामने आती है कि संसाधनों और क्षेत्रीय बनावट के असमान वितरण के कारण रोजगार में भी क्षेत्रीय भिन्नता है।

बेरोजगारी के अन्य कारक

इन सभी के अलावे जनसंख्या में लगातर वृद्धि, मशीनों का अधिक प्रयोग, तकनीकि शिक्षा एवं कुशल श्रमिकों का अभाव, अकास्मिक आपदा जैसे कोरोना वायरस आदि भी बेरोजगारी का मुख्य कारण हैं।  वर्तमान मांग के अनुरूप लोगो मे कौशल विकास की कमी, अगर आप वर्तमान समय के मांग को पूरा नहीं करते हैं तो आप को बेरोजगारी की समस्या झेलनी पड़ सकती है। 

बेरोजगारी की समस्या एवं दूर करने के उपाय (Unemployment in Hindi) 

आपदा के बाद बेरोजगारी किसी देश का एक बड़ा समस्या होता है। जिसका मानव जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बेरोजगारी के कारण लोगों का अपना बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं कर पाना सबसे बड़ा समस्या है। बेरोजगारी के कारण स्वस्थ जीवन नही होने से कुपोषण दर में वृद्धि हुई है। लोग अच्छी एवं तकनीकि शिक्षा तक नहीं पहुंच पाते और साथ ही साथ लोग उच्च जीवन स्तर में गिरावट आ जाती है।

बेरोजगारी दूर करने के उपाय 

  • जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण।
  • उद्योग-धंधों का विकास।
  • कुशाल श्रमिको की संख्या में वृद्धि।
  • लोगों में तकनीकि शिक्षा के लिए प्रोत्शाहन।
  • सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों में रोजगार सृजन।
  • लघु एवं कुटीर उद्योग को बढ़ावा देना।
  • वर्तमान मांग के अनुसार लोगों में पास कौशल विकास प्रशिक्षण।
  • उद्योग के लिए सुगम व सरल ऋण उपलब्ध कराने की सुविधा।

सरकार द्वारा बेरोजगारी उन्मूलन कार्यक्रम

प्रधानमन्त्री रोजगार गारंटी योजना PMEGP

भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एक योजना है जो कि छोटे उद्योगों और व्यवसायों को शुरू करने में मदद करती है। इस योजना में सरकार उन लोगों को ऋण देती है जो अपने खुद के उद्योग शुरू करना चाहते हैं या अपने मौजूदा उद्योग को बढ़ावा देना चाहते हैं। इस योजना में, सरकार उन लोगों को ऋण प्रदान करती हैं जिनकी मासिक आय 1,00,000 ₹ से कम होती है। इस योजना के अंतर्गत, उद्यमी व्यक्तियों को संभवतः 10 से 25 लाख रुपये तक की ऋण सबसिडी के साथ प्रदान की जाती है।

यह भी देखेंभारत के प्रधानमंत्रियों की सूचि

महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना MNREGA 

ग्रामीण इलाकों में कम से कम 100 दिन रोजगार उपलब्ध कराने के लिए महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही है।

इंदिरा गांधी रोजगार गारंटी योजना 

मनरेगा के तर्ज पर कुछ स्थानीय सरकार द्वारा शहरी क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए इंदिरा गांधी रोजगार गारंटी योजना की शुरुआत की गई है।

बेरोजगारी लाभ 

जिसे बेरोजगारी भत्ता या मुआवजा भी कहा जाता है। सरकार द्वारा बेरोजगार लोगों को बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रति माह बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है। बेरोजगारी भत्ता का लाभ आम तौर पर केवल बेरोजगारों के रूप में पंजीकरण करने वालों को दिया जाता है। जो पिछले अर्जित वेतन के अनुपात में खोए हुए समय की भरपाई कर सकती हैं।

सामाजिक सुरक्षा योजना (SSY)

यह योजना सामाजिक सुरक्षा कार्ड (SSC) के तहत चलाई जाती है और जो लोग अपनी मासिक आय रू. 10,000 से कम होती हैं, उन्हें मासिक आय रू. 1,000 तक दी जाती है।

वर्तमान में सरकार या स्वयं सहायता समूह द्वारा बेरोगारो को कौशल विकास प्रशिक्षण के साथ-साथ व्यवसाय के लिए सब्सिडी पर लोन प्रदान कर रोजगार के अवसर दिया जा रहा है।

निष्कर्ष

बेरोजगारी किसी भी देश के अर्थव्यवस्था में एक बड़ी समस्या है जो देश के आर्थिक संवृधि को कम करता है। 

भारत में लगातार आर्थिक विकास के बावजूद वर्तमान में बेरोजगारी की दर कम नहीं हुआ है जिसका मुख्य कारण तीव्र जनसंख्या वृद्धि दर एवं उद्योगों में मशीनों का बहुत्यता से प्रयोग है। साथ ही साथ वर्तमान मांग के अनुरूप श्रमिकों में कौशल विकास न होना भी बेरोजगारी का कारण है। अतएव सरकार एवं स्वयं सहायता समूहों के सहयोगसे आर्थिक सुधार एवं कुछ महत्त्वपूर्ण परिर्वतन कर भारत में बेरोजगारी दर को कम किया जा सकता हैं।

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बेरोजगारी से संबंधित FAQs

बेरोजगारी की परिभाषा क्या है?

बर्ष के सबसे व्यस्त 183 दीन में से काम करने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को अगर 183 दिन से कम दिन का काम मिलता है तो उसे बेरोजगारी में शामिल करते हैं।

बेरोजगारी का मापन कौन करता है?

भारत में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन NSSO द्वारा बेरोजगारी दर का मापन किया जाता है। इसके अलावा CIME जो एक बड़ी अर्थिक डाटा बेस कंपनी है के द्वारा भी बेरोजगारी दर मापा जाता है।

बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण क्या है?

तीव्र जनसंख्या वृद्धि एवं उद्योग में मशीनीकरण बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण है। मशीनों के बढ़ते प्रयोग से मानव श्रम शक्ति को कम कर दिया है।

भारत के किस राज्य में सर्वाधिक बेरोजगारी दर है?

CMIE द्वारा ज़ारी आंकड़ों के अनुसर हरियाणा 37.03% बेरोजगारी दर के साथ सार्वाधिक बेरोजगार हैं।

भारत के किस राज्य में सबसे कम बेरोजगारी दर है?

CMIE के दिसंबर माह में जारी आंकड़ों में हिमाचल प्रदेश 0.2 फीसदी बेरोजगारी दर के साथ न्यूनतम बेरोगारी वाला राज्य बताया गया है।

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