पर्यावरण प्रदुषण विश्व भर में एक चिंतनीय विषय है इसलिए पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environment Pollution in Hindi) प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए कॉमन टॉपिक है। इस लेख में सभी प्रकार के परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण प्रदुषण पर निबंध तैयार किया गया है। इस लेख में पर्यावरण प्रदुषण, प्रदुषण के प्रकार, कारण, परिणाम एवं पर्यावरण संरक्षण के उपाय को आप जान पायेंगे।
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environment Pollution in Hindi)
पर्यावरण प्रदूषण विश्व में हो रहे तकनीकि विकास, औधोगीकरण और नगरीकरण और मानव द्वारा अंधाधुन संसाधनों का दोहन का परिणाम है जो विश्व में सबसे बड़ा चिन्ता का विषय बन गया है।
पर्यावरण दो शब्दों परी तथा आवरण के सहयोग से बना है जिसका अर्थ है चारों ओर का आवरण यह पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीवधारियों के आस पास का वह आवरण है जिसका जीवधारियों पर सीधा प्रभाव पड़ता है तथा साथ ही स्वयं जीवधारियों की गतिविधियों के कारण प्रभावित होता रहता है।
समान्यतः पर्यावरण के विभिन्न घटक पर्यावरण में एक निश्चित मात्रा एवं अनुपात में विद्यमान होते हैं तथा विभिन्न घटकों एक दुसरे के मध्य सामंजस्य बनाये रखते हैं। लेकिन जब स्वस्थ पर्यावरण में अवांछनीय तत्वों के मिश्रण से पर्यावरण की गुणवत्ता में ह्रास हो जाती हैं तो उसे पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं।
पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार
पर्यावरण प्रदूषण को इसके विभिन्न घटकों में हो रहे प्रदूषणों के आधार पर वर्गकृत किया जाता है इन घटकों में वायु, जल, मृदा, ध्वनि, तथा रेडियोधर्मी पदार्थों को शामिल किया गया है। अतः पर्यावरण प्रदूषण के निम्न प्रकार हैं:
वायु प्रदूषण:
वायुमंडल की संरचना विभिन्न प्रकार के गैसों से हुई है जो वायुमंडल में संतुलित अवस्था में रहती है परंतु विकास के होड़ में बढ़ती मानवीय गतिविधियों के कारण वायुमंडल में कुछ महत्त्वपूर्ण बदलाव हुए हैं जिससे कुछ गैसों की मात्रा में वृद्धि एवं हानिकारक गैसों का समावेश हो गई है जिसे वायु प्रदूषण के रुप में चिन्हित किया गया है। प्रदूषित वायु के कारण आज प्राकृतिक वातावरण एवं मानव जीवन पर व्यापक दुष्प्रभाव हो रहे हैं।
जल प्रदूषण:
कल कारखानों से निकलने वाले व्यर्थ पदार्थों, घरेलू अपमार्जक तथा नगर से निकले मल-मूत्र एवं कचरों एवं अन्य रसायनिक पदार्थों का नदियों में बहाने के कारण जल के समान्य गुणवता में कमी हो गई है जिसे जल प्रदूषण कहते है। प्रदूषित जल से विभिन्न प्रकार के रोगों से मानव एवं अन्य जलीय जीव ग्रसित हो रहे हैं।
मृदा प्रदूषण:
कृषि में प्रयुक्त होने वाले कीटनाशकों, उर्वरकों का अधिक प्रयोग, औद्योगिक कचरा का मृदा में मिश्रण एवं मृदा क्षरण के कारण मृदा का उर्वरा शक्ति और गुणवत्ता में कमी मृदा प्रदूषण कहलाता है। इस प्रदूषण के कारण मृदा मे पाए जाने वाले जीव जंतुओं एवं अपघटकों का लगातर ह्रास हो रहा है।
ध्वनि प्रदूषण:
80 डेसिबल से अधिक शोर को ध्वनि प्रदूषण के अंतर्गत रखा जाता है। लगातार बढ़ते औद्योगिकरण एवं अधिक वाहनों की संख्या के कारण ध्वनि प्रदूषण का खतरा काफी बड़ा है ध्वनि प्रदूषण के कारण कई प्रकार के मानसिक एवं शारीरिक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।
रेडियोधर्मी प्रदूषण:
यूरेनियम, थोरियम, प्लूटोनियम, आदि जैसे रेडियोधर्मी पदार्थों के विकिरण से होने वाले प्रदूषण को रेडियोधर्मी प्रदूषण कहा जाता है। रेडियोधर्मी विकिरण के कार्यिक एवं अनुवांशिक प्रभाव काफी घातक होते हैं।
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पर्यावरण प्रदुषण के प्रमुख कारण
पर्यावरण को प्रदूषित करने में विभिन्न प्रकार से प्रकृतिक आपदाएं तथा मानवीय गतिविधियां दोनों ही कारक जिम्मेदार हैं लेकिन पर्यावरण प्रदूषण में मानवीय गतिविधियां अधिक जिम्मेवार हैं। आज मानव द्वारा जनित विभिन्न तकनीकि गतिविधियों के परिणाम स्वरूप हमारा पर्यावरण से दूषित हो चुका है जिसका मुख्य कारण है:
- मानव जनसंख्या में बेतहासा वृद्धि से पर्यावरण पर दबाव।
- औधोगीकरण में लगातार वृद्धि होने उद्योगों से निकले वाली धुएं वायुमंडल में मिल कर वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।
- बढ़ते नगरीकरण के कारण कांस्ट्रक्शन कार्य से निकले व्यर्थ पदार्थों का पर्यावरण में समावेश।
- परमाणु हथियार एवं ऊर्जा संयंत्र का विकास।
- युद्धों एवं खानों में बम विस्फोट।
- चिकित्सा में रेडियोधर्मी पदार्थों प्रयोग।
- प्राकृतिक संसाधनों का अविवेकपूर्ण दोहन।
- जंगल में अगलगी, परिवहन मार्गों के विकास एवं आवासीय परिसर के कारण वनों का विनाश या निर्वनीकरण।
- कृषि कार्य में कीटनाशको का अधिक प्रयोग।
- औधोगीक काचरो को मिट्टी में निपटान एवं उर्वरकों का प्रयोग।
- घरेलू मल-मूत्र एवं उधोगो से निकले सीवेज को सीधे नाले नदियों में बहाना।
- ई-कचरा का बढ़ना।
- प्लास्टिक उत्पादों का अधिक प्रयोग।
- जहाजों में तेल का रिसाव होने से समुद्री जल प्रदूषण।
- खुले में कचरों को फेंकना एवं जलाना।
औधोगीकरण, नगरीकरण एवं तकनीकि विकास ने इसके अलावा और कई मानवीय गतिविधियों को बढ़ावा दिया है जो पर्यावरण प्रदूषण के लिए जिम्मेवार हैं।
पर्यावरण प्रदुषण के परिणाम
- अम्ल वर्षा।
- हरित गृह प्रभाव।
- जलवायु परिवर्तन।
- वैश्विक भूमंडलीय तापमान में वृद्धि।
- ओजोन परत का क्षरण
- जल प्रदूषण के कारण टाइफाइड, अतिसार, हेपिटाइटिस व पीलिया के संक्रमण जैसे रोगों का खतरा।
- रेडियोधर्मी प्रदूषण के कारण चर्म रोग कैंसर आदि समस्याएं।
- प्रवाल विरंजन।
- समुद्री जल स्तर में वृद्धि।
- पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन।
- मृदा के गुणवत्ता में ह्रास।
- मृदा में अपघटको की कमी।
- प्राकृतिक आपदाओं में बारंबारता।
पर्यावरण प्रदुषण को रोकने के उपाय
प्रदूषन के कारण हो रहे वैश्विक क्षति को कम करने के लिए पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण पर नियंत्रण अनिवार्य है इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- जनसंख्य वृद्धि पर नियंत्रण कर पर्यावरण पर दबाव तथा प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
- निर्माण कार्य में हुए वनों की क्षति की भरपाई।
- कल-कारखाने से निकले सीवेज को ट्रीटमेंट कर नदियों में बहाना।
- उद्योगों में प्रयोग होने वाले खतरनाक रसायनों पर प्रतिबंध और नए विकल्पों का खोज।
- खुले स्थान पर कचरों को फेकने और जलाने पर प्रतिबंध कर इसे निपटान का प्रबंधन।
- जैविक कृषि को प्राथमिकता एवं कृषि कार्य में जैविक खाद का अधिक प्रयोग।
- प्लास्टिक उत्पाद के जगह पर्यावरण अनुकुल वस्तुओं का अधिक प्रयोग।
- पर्यावरण के अनुकूल तकनीकि विकास।
- जीवाश्म ईंधन के खपत कम कर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत को अपनाना।
- पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले रसायनों पर नियंत्रण।
- वाहनों में स्वच्छ इंजन का प्रयोग तथा अधिक धुआं देने वाले वाहनों पर प्रतिबंध।
- सर्वकानिक वाहनों का अधिक उपयोग।
- कारखानों के चिमनियों में फिल्टर का प्रयोग एवं अधिक ऊंचाई तक लगाना।
- अधिक शोर करने वाले वस्तुओं पर नियंत्रण।
- संसाधानो का विवेकपूर्ण उपयोग।
- पर्यावरण संरक्षण पर लोगों में जागरूकता अभियान।
- प्रदूषन फैलाने वाले घरेलू उपकरणों पर नियंत्रण।
- प्रदूषन नियंत्रण पर बने कानूनों को सख्ती से पालन करना।
निष्कर्ष
बढ़ते औधोगीकरण, नगरीकरण, एवं तकनीकि विकास के होड़ में मानव ने प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ एवं अविवेकपूर्ण संसाधनों का दोहन किया है जिसका परिणाम पर्यावरण प्रदूषण के रुप में सामने है। पर्यावरण एक जटिल विश्वव्यापी परिस्थितिकी है जिसके संरक्षण एवं विकास के लिए विभिन्न पर्यावरण के प्रतिकूल मानवीय गतिविधियों पर रोक एवं बहुआयामी कार्यक्रम आवश्यक है।
पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए कई प्रकार के राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय तथा स्वयंसेवी संस्थाएं कार्यरत हैं कई प्रकार के अंतरराष्ट्रीय करार एवं संधियों के द्वारा इस प्रदूषण को रोकने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन अभी पूर्ण सफलता प्राप्त नहीं हो सकी है
अधिकतम पूछे जाने वाले प्रश्न FAQ
प्रदूषण किसे कहते हैं?
जब प्राकृतिक पर्यावरण में मानवीय क्रियाओं द्वारा अवांछनीय तत्वों का समावेश होता है तथा पर्यावरण की गुणवत्ता में ह्रास होता है तो उसे प्रदूषन कहते हैं।
प्रदूषन के मुख्य कारण क्या है?
बढ़ती जनसंख्या, तीव्र औधोगिकरण, नगरीकरण तथा संसाधनों का अनुचित दोहन प्रदूषण के मुख्य कारण हैं।